अगर आप शेयर-बाजार में नए है और निवेश करने का मन बना रहे है , तो ऐसे में ये समझ लेना बहुत जरुरी होता है , की Market capitalization क्या होता है ? बात अगर Trading के नजरिये से करें या Investing के नज़रिये से दोनों ही मायनों में यह काफी महत्वपूर्ण साबित होता है , इसके बारे में हम आगे विस्तार से जानेंगे | तो चलिए समझतें है market capitalization क्या होता है ?
MARKET CAPITALIZATION क्या है ?
MARKET CAPITALIZATION किसी भी कंपनी की बाजार में कीमत को दर्शाता है | यह कीमत कंपनी के share price और कंपनी के कुल शेयरों के हिसाब से तय की जाती है | इसे short में market cap. भी कहा जाता है |
अब अगर market cap. और share price में सीधा सम्बन्ध है , तो share price बदलते है ही market cap. भी बदल जाता है | बाजार में मौजूद सभी कंपनियों का market cap. ट्रेडिंग दिनों में बदलता रहता है , क्योंकि इसी दौरान कंपनियों के शेयरों में खरीद-फरोख्त होती रहती है जिससे किसी कंपनी का share price ऊपर या निचे होता रहता है , और इसी से तय होता है की अगले दिन कंपनी का market cap. क्या होगा |
लेकिन ये बदलाव आमतौर पर बहुत छोटे होतें है | Long-term में किसी कंपनी का market cap. क्या होगा , यह कंपनी की growth पर निर्भर करता है | इसके बारें में आगे हम विस्तार से जानेंगे –
MARKET CAPITALIZATION कैसे calculate किया जाता है ?
Market cap. को कैलकुलेट करना बेहद सरल है | जब किसी कंपनी द्वारा जारी किये गए कुल शेयर्स यानि ( Total outstanding shares ) को share price से multiply कर दिया जाता है , तो हमे कंपनी का market cap. मिल जाता है |
चलिए इसे एक उद्हारण की साहयता से समझतें है –
मान लीजिये किसी XYZ कंपनी ने 1,00,000 शेयर्स जारी किए | जिसके एक शेयर का price 100 रु हैं | ऐसे में total outstanding shares की संख्या होगी 1,00,000 यानि n=1,00,000 और कंपनी के एक शेयर का मूल्य 100 रु , p=100
Market cap. = n × p
= 1,00,000 × 100 = 10,000,000
MARKET CAPITALIZATION कितने प्रकार का होता है ?
भारतीय शेयर-बाजार में market cap. के आधार पर कंपनियों को तीन मुख्य भागों में बांटा गया है –
- Large cap.
- Mid cap.
- Small cap.
large cap. , mid cap. और small cap. को लेकर लोगों की अलग-अलग राय हो सकती हैं , लेकिन हाल में ही SEBI की तरफ से जारी किये गये circular में SEBI ने क्या परिभाषा दी है , उसे समझतें है –
Large cap. कंपनी क्या हैं ?
Large cap. कम्पनियाँ आमतौर पर उन कंपनियों को कहा जाता है , जिनका market cap. 20,000 करोड़ या उससे अधिक होता है |
जबकि SEBI के अनुसार – Large cap. श्रेणी में उन्ही कंपनियों को रखा जाता है , जिनकी गिनती पहली 100 कंपनियों में होती है | आमतौर पर इन्हे Blue chip कंपनी भी कहा जाता है , क्योंकि यह कम Risk के साथ एक Stable return देने के लिए जानी जाती है |
आपकी जानकारी के लिए बता दें , NIFTY और SENSEX में शामिल सभी कम्पनियाँ Large cap. ही होती है |
Large cap. companies list –
- Reliance Industries
- TCS
- Bajaj Finance
- Dr. Reddy lab
- ITC
- Maruti Suzuki
- Tata Steel
- HDFC Bank
- Infosys
- Hindustan Unilever
Mid cap. कंपनी क्या हैं ?
Mid cap. कम्पनियाँ आमतौर पर वो होती है , जिनका market cap. 5,000 करोड़ से 20,000 करोड़ के बीच में रहता हैं
जबकि SEBI के अनुसार – 101 से 250 rank तक आने वाली कंपनियों को mid cap. कहा जाता है | large cap. की तुलना में mid cap. कम्पनियाँ थोड़ी ज्यादा risky होती है , लेकिन इसी के साथ इनमे growth opportunity भी काफी छिपी होती है |
Mid cap. companies list –
- ICICI Securities
- Aditya birla capital
- Glenmark pharma
- JSW energy
- Gillete India
- Jindal steel and power
- BHEL
- IRCTC
- Vodafone idea
- 3M India
Small cap. कंपनी क्या है ?
Small cap. कम्पनियाँ आमतौर पर वो होती है , जिनका market cap. 5,000 करोड़ से कम का होता हैं |
जबकि SEBI के अनुसार – 250 rank के बाद आने वाली सभी कंपनियों को small cap. की श्रेणी में रखा जाता है | Small cap. कंपनियों में सबसे ज्यादा risk involve रहता है , साथ ही इन कंपनियों में liquidity की भी कमी रहती है |
Small cap. companies list –
- Alankit
- The anup engineering
- RPSG venture
- Orient electric
- Liberty shoes
- Vardhman textiles
- TCI express
- Carrier point
- IIFL Securities
- IDFC
MARKET CAP. में उतार-चढाव क्यों आता हैं ?
जैसा की हमने आपको बताया की किसी कंपनी का market cap. उसके द्वारा जारी किये गए शेयरों की कुल संख्या को उसके share price से multiply करके निकाला जाता है |
अगर आप ध्यान देंगे , तो पाएंगे की कंपनी के share price का गहरा प्रभाव कंपनी के market cap. पर पड़ता है | अगर कंपनी के शेयर का price कम होगा , तो कंपनी का market cap. भी कम होगा | बजाय इसके अगर share price बढ़ता है , तो कंपनी का market cap. भी बढ़ेगा , यानि कंपनी के शेयर का भाव कम्पनी के market cap. को तय करता है , चलिए जानतें है की कंपनी का market cap. कैसे बदलता है –
Demand & Supply –
मान लीजिये बाजार में कंपनी की तरफ से कोई Positive news आती है , तो ऐसे में उस कंपनी के शेयरों की खरीद-फरोख्त बढ़ जायेगी | अब हालाँकि कंपनी के शेयरों की संख्या तो सिमित है , लेकिन demand बढ़ने की वजह से share price में भी उछाल आएगा | जिसका सीधा असर कंपनी के market cap. पर पड़ेगा |
Company Growth –
आमतौर पर short-term में share price के साथ छोटे-छोटे fluctuations हो सकतें है , लेकिन long-term में share price हमेशा कंपनी की growth को follow करता है | अगर कंपनी के fundamentals अच्छे है , तो definitely long-term में share price बढ़ता हैं , जिस वजह से कंपनी का market cap. भी बढ़ता चला जाता है |
सरल भाषा में कहें तो , long-term में किसी भी शेयर की growth कंपनी की growth पर निर्भर करती हैं |
उम्मीद करतें है , इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी जैसे ( market capitalization क्या होता है , market capitalization कैसे calculate किया जाता है , market capitalization कितने तरह का होता हैं इत्यादि ) आपके लिए उपयोगी साबित होगी |
अगर आपके पास इस पोस्ट से जुड़े अभी भी कोई सवाल हैं , तो उसे आप हमसे निचे दिए गये comment section में पूछ सकतें है |