Deflation meaning in hindi | Deflation के कारण और प्रभाव

Deflation क्या हैं ,  Deflation meaning in hindi

Deflation का अर्थ हैं ” अपस्फीति ” यानि वस्तुओं सेवाओं की कीमतों में गिरावट आना |

साधारण शब्दों में कहें तो ,

ये एक Negative Inflation हैं , जहाँ Inflation में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि होती है , वहीँ Deflation में वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में गिरावट देखी जा सकती हैं |

आमतौर पर Deflation तब होती हैं , जब Money supply में कमी आती हैं , और money supply में इसी कमीं के कारण मुद्रा की क्रय शक्ति बढ़ जाना स्वाभाविक हैं |

इसका मतलब हैं , आप उतने ही पैसों में अब और ज्यादा वस्तुएं खरीद सकतें हैं , हालांकि यह सुनने में अच्छा लग सकता हैं , लेकिन ऐसा नहीं हैं , जब किसी देश में Deflation होती हैं , तो यह और अधिक deflation को trigger कर सकती हैं | जिससे देश को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता हैं |

आपकी जानकारी के लिए बता दें ,

किसी भी देश में money supply ” Monetary policy ” के जरिये ही control की जाती हैं | Monetary policy में बदलाव करने का श्रेय उस देश की Central bank को जाता हैं | ( हमारे case में RBI यानि Reserve Bank of India )

चलिए अब समझतें हैं ,

 

किन कारणों से होती हैं Deflation ?

1. ब्याज दरों में बढ़ोतरी –

ब्याज दरें एक ऐसा element हैं , जो पुरे देश की अर्थव्यस्था को प्रभावित करती हैं | ब्याज दरें money supply को कम करने के लिए बढ़ाई जाती हैं , जिससे महंगाई यानि ( Inflation ) कम हो सकें , लेकिन इसकी एक तय सिमा होती हैं |

जब ब्याज दरें बढ़ती हैं , तो लोगों के पास कम पैसा होता हैं , खर्च करने के लिए , जिससे Demand में कमी आती हैं , और Currency की purchasing power बढ़ती हैं |

Demand में कमी आने की वजह से production कम होता हैं , जिससे लोगों को काम से निकाला जाता हैं |

 

2. Consumer Demand में कमी आना –

“Deflation” consumer demand में कमी के कारण भी आ सकती हैं , जब ब्याज दरें बढ़ती हैं , तो लोगों के पास कम पैसा होता हैं खर्च करने के लिए , जिससे overall demand घटती हैं | ऐसे में लोग पैसा बचाना पसंद करतें हैं , न की खर्च करना |

 

3. Supply का बढ़ जाना –

जब किसी country में Goods की supply बढ़ती हैं , तो यह एक अच्छा संकेत हो सकता हैं , लेकिन demand से अधिक supply का बढ़ जाना मंदी की और इशारा करता हैं |

आमतौर पर , supply बढ़ जाने के मुख्य कारण lower production cost और technology advancement को माना जाता हैं |

जब production cost कम होती हैं , या New technology आती हैं , तो फैक्ट्रियों द्वारा ज्यादा उत्पादन किया जाता हैं , कम लागत पर , जो की supply को बढ़ा सकता हैं |

 

Deflation के प्रभाव –

 

1. Unemployment

जैसे-जैसे कीमतें कम होती हैं , कंपनी का मुनाफा भी कम होता हैं , ऐसे में कम्पनी द्वारा अपनी लागत को कम करने के लिए कर्मचारियों को काम से निकला जा सकता हैं |

 

2. Debt

जब ब्याज दरें बढ़ती हैं , तो इसका प्रभाव ऋण पर भी पड़ता हैं , और इससे होता ये हैं , ऋण लेना और भी महंगा हो जाता हैं |

 

3. Deflationary spiral

एक Deflationary spiral तब होता हैं , जब सेवाओं  और वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आती हैं , इस गिरावट के कारण production कम होता हैं , मजदूरी कम होती हैं , और मांग में कमी आती है |

एक Deflationary spiral को कम करने क लिए central bank द्वारा monetary policy में बदलाव किये जा सकते हैं , जिससे मांग में वृद्धि हो सके | इसके लिए central bank द्वारा ब्याज दरों को कम किया जा सकता हैं |

 

 

 

 

उम्मीद करते हैं , इस पोस्ट के माध्यम से दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी , आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमें comment करके जरूर बताएं |

 

 

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