Dividend Policy क्या हैं | Types of dividend policy in Hindi

शेयर बाजार से मुख्य रूप से दो तरीको से मुनाफा कमाया जा सकता हैं,

  1. Capital Appreciation 
  2. Dividend Income 

Dividend Income एक passive income source हैं , अगर आप भी dividend से अच्छा मुनाफा कमाना चाहतें हैं , तो आपको Dividend policy के बारें में जानकारी होना जरुरी हैं , क्योंकि इसी के आधार पर कम्पनियाँ अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड का भुगतान करती हैं , इसलिए आज के इस article में हम dividend policy के बारें जानने वाले हैं , जैसे dividend policy क्या होती हैं , और यह कितने प्रकार की होती हैं , इत्यादि , तो चलिए शुरू करतें हैं –

 

Dividend Policy क्या हैं ?

आमतौर पर जब कम्पनियाँ किसी वित्तीय वर्ष मुनाफा कमाती हैं , तो अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा वो अपने शेयरहोल्डर्स के साथ साझा करती हैं , जिसे dividend कहा जाता हैं | ये dividend शेयरहोल्डर्स को दिया जाएगा या नहीं , यह कंपनी के board of directors द्वारा AGM यानि ( Annual General Meeting ) में तय किया जाता हैं , जो की कई कारणो पर निर्भर करता हैं , जैसे future growth prospects , debt obligations इत्यादि |

आमतौर पर जब कम्पनियाँ अपने शेयरहोल्डर्स को dividend देती हैं , तो यह dividend policy के अंतर्गत दिया जाता हैं | शेयरहोल्डर्स को किस frequency के साथ डिविडेंड दिया जाएगा , या किस rate के साथ दिया जाएगा | ये सभी चीजें dividend policy में mention की जाती हैं |

Generally , Dividend policy कई प्रकार की होती हैं , जिसके अंतर्गत कम्पनियाँ अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड का भुगतान करती हैं |

 

कितने प्रकार की होती हैं Dividend Policy

Dividend policy मुख्य रूप से 4 प्रकार की होती हैं , जिन्हे कम्पनियाँ अक्सर अपनाती हैं | चलिए उनके बारें में एक-एक करके विस्तार से जानते हैं –

1. Regular Dividend Policy –

Regular Dividend Policy वो होती हैं , जिसके अंतर्गत कम्पनियाँ अपने शेयरहोल्डर्स को Regular डिविडेंड का भुगतान करती हैं | इसका  कंपनी के profit और loss से कोई लेना-देना नहीं होता |

अगर किसी वर्ष कंपनी को ज्यादा मुनाफा होता हैं , तो एक Fixed amount dividend देने के बाद , जो पैसा बचता हैं , उसे कंपनी द्वारा future growth के लिए Retained earnings के तौर पर रख लिया जाता हैं | वहीँ अगर किसी वर्ष कंपनी को loss होता हैं , तो भी कंपनी को डिविडेंड pay करना ही होता हैं |

आमतौर पर , इस policy के अंतर्गत मिलने वाला डिविडेंड कम या ज्यादा हो सकता हैं , क्योंकि कंपनियों को हर वर्ष डिविडेंड का भुगतान करना होता हैं | इस तरह की dividend policy को अक्सर Well Established कंपनियां अपनाती हैं , क्योंकि इनका cash flow आमतौर पर काफी stable रहता हैं |

 

2. Stable Dividend Policy –

Stable dividend policy वो होती हैं , जिसके अंतर्गत कपनियां अपने शेयरहोल्डर्स को एक fixed percentage के साथ डिविडेंड का भुगतान करती हैं , उदहारण के तौर पर –

अगर कम्पनी 6 % का भुगतान करती हैं , तो कंपनी को किसी वित्तीय वर्ष रु 1,00,000 का मुनाफा हो , या रु 10,00,000 का |  कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को 6 % तक ही भुगतान करेगी |

इस तरह की policy में एक fixed percentage होने के साथ , एक समस्या हैं , वो ये हैं की शेयरहोल्डर्स के लिए यह predict कर पाना काफी मुश्किल होता हैं , की इस वर्ष dividend का भुगतान कितना होगा , क्योंकि इस तरह की policy के अंदर डिविडेंड कम मिलने वाला हैं , या ज्यादा | यह निर्भर करता हैं , कंपनी के मुनाफे पर , जो की हर वर्ष एक सा नहीं रहता |

 

3. Irregular Dividend Policy –

इस तरह की policy के भीतर कंपनी पर कोई obligations नहीं होता , की शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड pay ही करना हैं | कम्पनियाँ चाहे तो अपने मुनाफे को शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देने की बजाय future growth के लिए इसे अपने पास Retained earnings के तौर पर भी रख सकती हैं , और चाहे तो reward के रूप में अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड का भुगतान भी कर सकती हैं |

Irregular dividend policy अक्सर वो कम्पनियाँ अपनाती हैं , जिनका cash flow अक्सर uneven रहता हैं |

 

4. NO Dividend Policy –

इस तरह की policy के भीतर कंपनियों द्वारा उनके शेयरहोल्डर्स को किसी प्रकार का कोई डिविडेंड नहीं दिया जाता , जैसा की नाम से ही पता चलता हैं No dividend policy .

Dividend न देने की एक वजह ये भी हैं , की कम्पनियाँ अपनी growth पर काफी focus करती हैं , जैसे भविष्य में कोई New project शुरू करना हो , या Debt obligations को पूरा करना हो , या working capital के तौर पर कुछ राशि को अपने पास रखना हो , इत्यादि |

आमतौर पर , ये कम्पनियाँ अपने शेयरहोल्डर्स को capital appreciation के जरिये फायदा पहुंचाती हैं | इस तरह की policy को आमतौर पर नई कम्पनियाँ और startups अपनातें हैं |

 

 

 

आज आपने क्या सीखा ?

आज के इस article में आपने , Dividend policy क्या हैं , और Types of dividend policy के बारें में जानकारी प्राप्त की हैं |

उम्मीद करतें हैं , इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी | अगर आपके पास इस पोस्ट से जुड़े अभी भी कोई सवाल है , तो उसे आप हमसे निचे दिए गएँ comment section में पूंछ सकतें हैं |

 

 

 

 

 

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