नमस्कार दोस्तों , आज के इस article में हम EPS के बारें में बात करने वाले हैं , जैसे EPS क्या होता हैं , EPS full form , EPS कैसे calculate किया जाता हैं , तथा किसी निवेशक के लिए EPS क्यों मायने रखता हैं , इत्यादि | इन सभी विषयों पर आज के इस article में हम विस्तार से जानने वाले हैं , तो चलिए शुरू करतें हैं –
EPS Full form
EPS की Full form हैं ” Earning per Share “ यानि ” प्रति शेयर आय “ , यह हमे कंपनी की प्रति शेयर आय के बारें में बताता हैं |
Earning Per Share क्या हैं ?
Earning per share एक Financial metric हैं , जो की किसी कंपनी की Net income यानि ( शुद्ध मुनाफे ) को Total no. of Outstanding Shares से विभाजित करता हैं , तथा यह पता लगाता हैं , की कंपनी प्रति शेयर कितना मुनाफा कमा रही हैं |
चलिए इसे एक उदहारण की साहयता से समझतें हैं –
मान लीजिये कोई XYZ कंपनी हैं , जो की वित्तीय वर्ष के दौरान रु 10,00,000 का मुनाफा कमाती हैं , और कंपनी के पास Total no. of Outstanding shares की संख्या हैं 1,00,000
तो EPS हुआ ,
10,00,000 / 1,00,000
=10 रु प्रति शेयर
इसका मतलब हैं , कंपनी XYZ प्रति शेयर रु 10 मुनाफा कमा रही हैं | कोई कंपनी प्रति शेयर कितना मुनाफा कमा रही हैं , इसका एक निवेशक के लिए जानना बेहद जरुरी होता है |
Types of EPS in Hindi
Generally , EPS दो प्रकार का होता हैं –
1. Basic EPS
जैसा की नाम से ही पता चलता हैं , यह एक साधारण EPS हैं , जो किसी कंपनी के प्रति शेयर आय को दिखाता हैं | इसमें शेयरों के Dilution को शामिल नहीं किया जाता | ध्यान दें , हमने अभी जिस EPS के बारें में बात की थी , वो Basic EPS ही था
2. Diluted EPS
Diluted EPS यानि प्रति शेयर आय का कम हो जाना | जो की कई कारणों से हो सकता हैं , जैसे Employee Stock option , Convertible bonds , Stock warrants , Convertible Debentures इत्यादि |
ध्यान दें , EPS diluted तभी होता हैं , जब बाजार में मौजूदा शेयरों की संख्या में बढ़त होती हैं |
Earning Per Share Formula
यहाँ पर Net Income का अर्थ हैं , कंपनी के सभी तरह के Direct expenses , Operating expenses , Taxes और Interest घटाने के बाद बची हुई आय | ध्यान दें , अगर कंपनी द्वारा Preferred dividend दिया गया हुआ हैं , तो वो भी Net Income में से घटाया जाएगा |
किसी कंपनी का EPS कैसे निकालें ?
किसी भी कंपनी का EPS निकालने के लिए आपको उसे manually calculate करने की जरुरत नहीं पड़ती , बल्कि Basic EPS और Diluted EPS आप किसी भी कंपनी के Profit and loss statement में आसानी से देख सकतें हैं |
हमने यहाँ उदहारण के तौर पर , Godrej consumer products का Profit & loss statement लिया हैं , जिसमे Basic और Diluted EPS को Highlight करके दिखाया गया हैं |
ध्यान दें , जब भी आप किसी कंपनी का EPS देखें , तो Basic EPS के साथ-साथ Diluted EPS भी जरूर पता कर लें |
EPS क्यों महत्वपुर्ण हैं ?
EPS यानि Earning per share किसी भी निवेशक के लिए बेहद मायने रखता हैं | यह न सिर्फ प्रति शेयर आय को दिखाता हैं , बल्कि किसी stock के PE Ratio यानि price to earning ratio की calculation के लिए भी EPS का उपयोग किया जाता हैं |
हमने इस article में Basic EPS और Diluted EPS के बारें में जाना , बल्कि इसके अलावा भी कई तरह के EPS हैं , जैसे Cash EPS , Retained EPS , Forward EPS इत्यादि , भी कंपनी की सेहत के बारें में महतवपूर्ण जानकारी प्रदान करतें हैं , जिनका उपयोग आमतौर पर Financial analyst द्वारा किया जाता हैं |
EPS की सीमाएं
सिर्फ किसी कंपनी का EPS देखकर ही उसमे निवेश नहीं करना चाहिए , क्योंकिं इसे manipulate भी किया जा सकता हैं | आमतौर पर जब कपनियां Shares buyback या Reverse split करती हैं , तो बाजार में no. of outstanding shares की संख्या कम हो जाती हैं , जिसका असर कंपनी के EPS पर भी पड़ता हैं |
TTM EPS क्या हैं ?
TTM EPS का अर्थ हैं , Trailing Twelve Month Earning Per Share , जिसका उपयोग कंपनी के पिछले 12 महीनों या पिछले 4 तिमाही का EPS देखने की लिए किया जाता हैं |
ध्यान दें , इसमें पिछले 12 महीनो को शामिल किया जाता हैं , इसका financial year से कोई लेना-देना नहीं होता | उदहारण के तौर पर , अगर आप जनवरी के पिछले 12 महीनो का EPS देखना चाहते हैं , तो आप जनवरी का TTM EPS देख सकतें हैं
उम्मीद करतें हैं , इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी जैसे ( Earning per share क्या हैं , Types of EPS in hindi , EPS formula , EPS की सीमाएं तथा TTM EPS क्या हैं ) इत्यादि | आपके लिए उपयोगी साबित होगी |
अगर आप पास इस पोस्ट से जुड़े अभी भी कोई सवाल हैं , तो उसे आप हमसे निचे दिए गयें comment section में पूंछ सकतें हैं |
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