Revenue Meaning in Hindi | Types of Revenue in Hindi

किसी भी कंपनी की Income Statement को जब हम पढ़तें हैं , तो सबसे Topline में हमे Revenue ही नज़र आता हैं | यही वो शुरूआती Figure हैं , जहाँ से किसी कंपनी की Income Statement शुरू होती हैं |

अगर शुरुआत में ही दी हुई Figure समझ में न आये , तो निचे दी हुई चीजों को समझना और analyze करना और भी मुश्किल हो जाता हैं |

इसलिए आज के इस article में हम Revenue के बारें में विस्तार से समझने वाले हैं , जैसे Revenue क्या हैं , कोई कपनी किस आधार पर Revenue record करती हैं , Types of Revenue , Revenue vs Profit इत्यादि | तो चलिए शुरू करतें हैं –

 

Revenue क्या हैं ?

Revenue का अर्थ हैं ” Gross Sales “ या Total Revenue यानि की किसी एक Particular time के भीतर मौटे तौर पर कंपनी ने कुल कितने रुपयों की बिक्री की |

जब कम्पनियाँ किस वित्तीय वर्ष , अपने Products या Services को sales करती हैं , तो उसे वो अपनी Income Statement में as a Revenue दर्शाती हैं |

Revenue को calculate करना बेहद सरल हैं –

Revenue =  Price per unit × No. of unit sold

उदहारण के तौर पर , किसी कंपनी द्वारा वित्तीय वर्ष में 10 laptop बेचे गएँ , जिसमे प्रत्येक laptop की कीमत रु 50,000 हैं , तो इस प्रकार कंपनी का Revenue हुआ –

=  50,000 × 10
=  5,00,000

ध्यान दें , जब हम किसी कंपनी के लिए Revenue की बात करतें हैं , तो उसमे कंपनी की Other Income जैसे ( Rental Income , Dividend Received , Sale of fixed assets ) और कंपनी के सभी तरह के खर्चों जैसे ( Direct Expenses , Operating Expenses , इत्यादि ) को शामिल किया जाता हैं |

यहाँ पर कंपनी के Revenue को कंपनी का मुनाफा समझने की गलती बिलकुल न करें | Revenue और Profit दोनों अलग-अलग बातें हैं , जिसके बारें में आगे हम विस्तार से समझेंगे |

लेकिन उससे पहले ये समझ लेते हैं , की –

 

कम्पनियाँ Revenue किस आधार पर Record करती हैं ?

आमतौर पर जब कम्पनियाँ अपने Products या Services sales करती हैं , तो उसके द्वारा आने वाला Revenue दो आधार पर Record किया जाता हैं :-

Accrual Basis –

जब कोई कंपनी अपने Products या Services sales करती हैं , तो उसे वो अपनी Income Statement में as a Revenue दर्शाती हैं , भले ही इसका पैसा कंपनी को न मिला हो |

Accrual Basis हमे बताता हैं , अगर किसी कंपनी द्वारा उसके customer को माल बेच दिया गया हैं , तो कंपनियों के लिए , उसे Revenue गिना जाएगा , भले ही वो Products या Services credit पर बेचीं गयी हो |

जब कम्पनियाँ credit पर अपना माल बेचती हैं , तो ऐसे में उनके पास Cash का Inflow तो नहीं होता , लेकिन इसी के साथ कंपनी के Debtors यानि ( Bills receivables ) में बढ़ोतरी होती हैं | एक particular time के बाद जब कंपनी का पैसा कंपनी को receive होता हैं , यानि cash का inflow होता हैं , तो इसी के साथ दूसरी और Bills receivables भी कम कर दिए जातें हैं |

आपकी जानकारी के लिए बता दें , Bills receivables कंपनी के लिए current assets हैं , जिसका पैसा कंपनी को एक वर्ष के भीतर मिलना होता हैं |

 

Cash Basis –

जैसा की नाम से ही पता चलता हैं ” Cash Basis “ .  Cash Basis पर Revenue तब गिना जाता हैं , जब कंपनियों को उनके Products या Services के बदले actual में Cash receive होता हैं |

 

Types of Revenue

 

Operating Revenue –

आमतौर पर जब कंपनी की Income Statement को analyze किया जाता हैं , तो कंपनी के Operating Revenue को ही देखा जाता हैं |

Operating Revenue का अर्थ हैं , कंपनी के Core-Operations से मिलने वाला Revenue . इसमें कंपनी की Other Income जैसे ( Rent received , Dividend received , Sale of fixed assets ) इत्यादि को शामिल नहीं किया जाता | इसे कंपनी की Income Statement में Revenue from operations या Net sales से दर्शाया जाता हैं |

 

Non- Operating Revenue –

Non-Operating Revenue का अर्थ हैं , कंपनी के Non-Operating Source से प्राप्त आय |

ध्यान दें , किसी Retail Investor की तरह , कम्पनियाँ भी अपना पैसा शेयर बाजार और म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करती हैं | जहाँ से उन्हें Capital gain और Dividend Income receive होती रहती हैं | अगर किसी वित्तीय वर्ष , कंपनी को अगर कोई Rental Income receive हुई हो या कंपनी ने अपनी कोई Fixed Assets sale की हो , तो इससे प्राप्त Revenue को Non-Operating Revenue कहा जाता हैं |

किसी कंपनी की analyze करतें समय Non-Operating Revenue को मुख्य तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए , क्योंकि इसका पक्के तौर पर पता लगा पाना मुश्किल होता हैं , की अगले वर्ष भी यह Revenue Generate होगा या नहीं |

इसलिए जब भी आप किसी कंपनी की Income Statement को analyze करें , तो कंपनी के Operating Revenue को ही मुख्य तौर पर देखें |

 

Revenue vs Profit

Revenue किसी भी Income Statement की topline figure दिखाता हैं | किसी वित्तीय वर्ष कंपनी द्वारा बेचे गएँ Products या दी गई Services से प्राप्त आय को Revenue कहा जाता हैं | इसमें कंपनी के Direct और Operating expenses को जोड़कर दिखाया जाता हैं |

Revenue और Profit दोनों अलग-अलग चीजें हैं | Revenue हमे बताता हैं , की कंपनी ने actual में कितनी sales की , जबकि Profit हमें बताता हैं , की कंपनी ने अपने Revenue का कितना हिस्सा Profit के तौर पर बचा रखा हैं |

ध्यान दें , Revenue में से कंपनी के किसी तरह के खर्च जैसे ( कच्चे माल की खरीद , labour cost , office & admin expenses , advertisement expenses , depreciation & amortization ) को घटाया नहीं जाता |

वहीँ , Net Profit किसी कंपनी की Income Statement में Bottom line figure को दिखाता हैं , जो की कंपनी के सभी तरह के खर्चों जैसे ( Direct & Operating Expenses ) यहाँ तक की Interest & Taxes घटाने के बाद प्राप्त मुनाफे को दिखाता हैं |

Net Profit से हमे पता चलता हैं , की कंपनी ने जितने रुपयों की sales की , उसमे से मुनाफे के तौर पर कितना पैसा अपने पास बचा पायी हैं | किसी भी निवेशक के नज़रिए से Revenue की तुलना में Net Profit को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती हैं |

 

 

 

 

 

उम्मीद करतें हैं , इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी जैसे ( Revenue क्या हैं , Types of Revenue , Revenue vs Profit , इत्यादि ) आपके लिए उपयोगी साबित होगी |

अगर आपके पास इस पोस्ट से जुड़े अभी भी कोई सवाल हैं , तो उसे आप हमसे निचे दिए गएँ comment section में पूंछ सकतें हैं |

 

 

 

 

 

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