Total Debt to Capitalization Ratio क्या हैं | Total Debt to Capitalization Ratio in Hindi

नमस्कार दोस्तों , इससे पिछले article में हमने Long term Debt to Capitalization Ratio के बारें में बात की थी , अगर आप इस बारें में और ज्यादा जानना चाहतें हैं , तो आप link पर click करके उस पोस्ट को पढ़ सकतें हैं |

आज के इस article में हम Total Debt to Capitalization Ratio के बारें में बात करने वाले हैं , जैसे Total Debt to Capitalization Ratio क्या हैं , Total Debt to Capitalization Ratio Formula , Interpretation तथा Total Debt to Capitalization Ratio का उपयोग कैसे करें इत्यादि , तो चलिए शुरू करतें हैं:-

 

Total Debt to Capitalization Ratio क्या हैं ?

Total Debt to Capitalization Ratio एक Capitalization Ratio हैं , जो की हमे किसी कंपनी द्वारा उपयोग किये जाने वाले Financial leverage के बारें में बताता हैं |

Total Debt to Capitalization Ratio से हमे पता चलता हैं , की किसी particular कंपनी का Capital Structure कैसा हैं , यानि वो अपनी Total Capital की तुलना में Debt का कितना उपयोग कर रही हैं |

Total Debt to Capitalization Ratio का पता लगाने के लिए , कंपनी के Total Debt को कंपनी की Total Capital से compare किया जाता हैं |

जाहिर सी बात हैं , यह Ratio जितना ज्यादा होगा , कंपनी के लिए उतना ही risky होगा , क्योंकि कंपनी के ऊपर एक Fixed Obligations हैं , जिसके लिए उसे timely payment करनी हैं |

अगर किसी कारण कंपनी की sales में downturn आ जाता हैं , तो कंपनी को Interest payment तो देनी ही होगी |

इसलिए इस ratio का कम होना , कंपनी और निवेशकों के लिए अच्छा संकेत माना जाता हैं , जिसका मतलब हैं , कंपनी का capital structure balance हैं |

 

Total Debt to Capitalization Ratio Formula

 

Total Debt to Capitalization Ratio Formula

 

यह जानने के लिए , की कंपनी की total capital की तुलना में debt का कितना proportion हैं , कंपनी के total debt को , कंपनी की total capital से compare किया जाता हैं |

यहाँ पर total debt से अर्थ हैं , ( short term debt + long term debt )

आपकी जानकारी के लिए बता दें , long term debt वो होता हैं , जिसका भुगतान कंपनी को एक से ज्यादा वर्षों में करना होता हैं , इसे Balance sheet के Non-current liabilities के under दिखाया जाता हैं |

वहीँ दूसरी और ,

Short term debt वो होता हैं , जिसे कंपनी को एक वर्ष के भीतर चुकाना हैं , तथा इसे Current liabilities के under दिखाया जाता हैं |

जबकि Denominator में दिए गएँ total capital से अर्थ हैं , ( short term debt + long term debt + shareholders equity )

यहाँ पर shareholders equity से मतलब हैं , कंपनी के shareholders का पैसा , जिसमे common stocks , preferred stocks और minority interest शामिल हैं |

किसी कंपनी के लिए Total Debt to Capitalization Ratio आप कैसे पता कर सकतें हैं , चलिए इसे एक interpretation की साहयता से समझतें हैं :-

 

Total Debt to Capitalization Ratio Interpretation

मान लीजिये कोई XYZ कंपनी हैं , जिसका capital structure कुछ इस प्रकार हैं –

Short term Debt =  40,000
Long term Debt =  60,000
Shareholders Equity =  80,000

इस प्रकार कंपनी XYZ के लिए Total Debt to Capitalization Ratio हुआ –

Total Debt to Capitalization Ratio =  ( 40,000 + 60,000 ) / ( 40,000 + 60,000 + 80,000 )

55.5 %

 

Total Debt to Capitalization Ratio को समझें

जैसा की हम जानते हैं , कंपनी के पास funds जुटाने के दो major रास्तें होतें हैं , जिससे वो अपने operations को efficiently run कर सकें |

  1. Equity
  2. Debt

Debt एक cheaper source of fund हैं , Equity की तुलना में , लेकिन यह काफी risky भी हैं , क्योंकि यह Fixed Interest Bearing Capital हैं |

जिसका मतलब हैं , कंपनी का Business growth करें या न करें , उसे lenders को एक fixed interest payment देनी ही होगी | इसलिए यह equity की तुलना में काफी risky हो जाता हैं |

आमतौर पर , किसी कंपनी द्वारा financial leverage का उपयोग , कंपनी और shareholders के returns को बढ़ाने के लिए किया जाता हैं , लेकिन इसी के साथ , इसे equity की तुलना में balance रखना जरुरी हैं , नहीं तो आगे जाकर यह कंपनी के लिए कई समस्याएं खड़ी कर सकता हैं |

 

Total Debt to Capitalization Ratio का उपयोग कैसे करें ?

ऐसा नहीं हैं , High Total Debt to Capitalization Ratio हमेशा risky होता हैं , बल्कि यह निर्भर करता हैं , की कंपनी किस Industry में काम कर रही हैं |

Generally , Retail और Service sector की तुलना में capital intensive industry की कंपनियों में यह ratio ज्यादा देखने को मिलता हैं , जैसे ( Oil & Gas , Telecom , Utilities sector ) इत्यादि |

क्योंकि इन्हे अपना business run करने के लिए large amount में capital को invest करना पड़ता हैं , लेकिन इसी के साथ इनका cash flow भी काफी stable रहता हैं |

वहीँ , अगर बात करें utility sector की , तो इनके पास customer base काफी बड़ा होता हैं , जहाँ से इन्हे एक stable cash flow मिलता रहता हैं |

इसलिए जब भी आप , किसी कंपनी के लिए Total Debt to Capitalization Ratio पता करें , तो उसके लिए peer comparison जरूर करें , तभी आपको एक clear picture मिलेगी , क्योंकि हर industry की कंपनी का capital structure अलग होता हैं |

इसके अलावा ध्यान दें ,

Fundamental Analysis के लिए , किसी एक single ratio पर निर्भर न रहें , बल्कि इसके अलावा आप कई और Financial Ratios पता कर सकतें हैं , जैसे ( Debt Ratio , Debt to Equity Ratio , Debt Service Coverage Ratio ) , इत्यादि |

 

 

 

 

उम्मीद करतें हैं , इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी , अगर आपके पास इस पोस्ट से जुड़े अभी भी कोई सवाल हैं , तो उसे आप हमसे निचे दिए गएँ comment section में पूंछ सकतें हैं |

 

 

 

 

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