Weighted Average Cost of Capital Meaning in Hindi | WACC Meaning in Hindi

Weighted Average Cost of Capital एक मह्त्वपूर्ण Financial metric हैं , जो की हमे किसी कंपनी के Cost of Capital Structure के बारें में बताता हैं , तथा इसे short में WACC भी कहा जाता हैं | WACC का उपयोग आमतौर पर Financial modeling में किया जाता हैं |

WACC हमे बताता हैं , की कंपनी जिन sources से capital जुटा रही हैं , उस particular Source of capital पर कंपनी को क्या लागत पड़ रही हैं |

WACC उन सभी cost of capital का एक Average rate show करता हैं , जिन माध्यमों से कंपनी द्वारा पैसा जुटाया जा रहा हैं |

जैसा की हम जानते हैं , कंपनी के पास कई source of fund होतें हैं , जैसे

  1. Issuing of Equity shares
  2. Issuing of Preference shares
  3. Issuing of Debentures
  4. Issuing of Bonds

उदहारण का तौर पर ,

अगर कंपनी 10 % की दर से 10,00,000 लाख का loan लेती हैं , तो यहाँ पर कंपनी को सालाना 1,00,000 लाख का ब्याज का भुगतान करना होगा | यह 1,00,000 कंपनी के लिए cost of capital गिना जायेगा |

बजाय इसके , अगर कंपनी preference shares issue करती हैं , तो भी कंपनी को preference shareholders को एक fixed dividend yield देनी होगी |

लेकिन Equity shares का क्या ,

देखिये जब भी कोई निवेशक , किसी कंपनी में निवेश करता हैं , तो वहां से वह कुछ return की उम्मीद करता हैं , चाहें वो dividend के जरिये हो या फिर capital appreciation के जरिये |

ऐसा जरुरी नहीं हैं , की कंपनी को equity shareholders को dividend देना ही होगा , कंपनी चाहे तो निवेशकों को capital appreciation के जरिये भी फायदा पहुंचा सकती हैं |

चलिए अब इसके फॉर्मूले को समझतें हैं –

 

Weighted Average Cost of Capital Formula

 

Weighted Average Cost of Capital ( WACC ) formula

 

WACC calculate करने के लिए , यह पता लगाया जाता हैं , की कंपनी जिन source of funds से capital जुटा रही हैं , उसका कंपनी की total capital की तुलना में कितना weighted हैं , इसके बाद उसे , उस पर लगने वाली cost of capital ( shares , bonds , etc ) से multiply किया जाता हैं |

इस प्रकार सभी line item को आपस में जोड़ा जाता हैं , और आपको एक  Average rate मिलता हैं |

ध्यान दें ,

ऊपर दिए गएँ फॉर्मूले में WACC को after tax निकाला गया हैं , जिस वजह से Debt के case में ( 1 – Tax rate ) से multiply किया गया हैं |

जैसा की हम जानते हैं , की Interest payment एक Tax deductible item हैं , इसलिए यहाँ ( 1 – Tax rate ) से मतलब हैं , कंपनी ने जो भी debt लिया हैं , उस पर कंपनी को एक fixed interest देना हैं , और इसे Tax का भुगतान करने से पहले दिया जाना हैं |

इस वजह से यह कंपनी के लिए एक Tax shield की तरह काम करता हैं |

 

 

 

 

उम्मीद करतें हैं , इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी , आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमे comment करके जरूर बताएं , इस पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद !

 

 

 

 

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