जब कोई Business अपनी वस्तुएं या सेवाएं बेचता हैं , तो अक्सर ऐसा संभव नहीं हो पता , की business को उन particular वस्तुओं या सेवाओं के बदले immediate payment मिल जाएँ |
अब हालाँकि business को तो अपनी sales करनी हैं , यही काम आता हैं , Factoring का !
इसलिए आज के इस article में हम Factoring क्या हैं , Factoring कितने प्रकार की होती हैं तथा Factoring कैसे काम करती हैं , इत्यादि चीजों के बारें में विस्तार से समझने वाले हैं , तो चलिए शुरू करतें हैं :-
Factoring क्या हैं ?
Factoring एक Financial term हैं , इसे अकसर Invoice discounting तथा Account Receivables factoring भी कहा जाता हैं |
यह एक short term Debt Financing हैं , जो की किसी factor द्वारा , किसी कंपनी को उपलब्ध कराई जाती हैं , यह factor ( Commercial Banks , Financial company ) कोई भी हो सकतें हैं |
Factoring में, कंपनी द्वारा , उसके Account Receivables को किसी third party द्वारा यानि ( factor ) को बेच दिया जाता हैं , ताकि business को उसकी short term need जैसे ( working capital , कच्चे माल की खरीद , इत्यादि ) के लिए immediate cash मिल सकें |
आपकी जानकारी के लिए बता दें , Account Receivables कंपनी के लिए Current Assets होतें हैं , जिसका पैसा कंपनी को एक वर्ष के भीतर मिलना होता हैं |
आमतौर पर , यह 30 days , 45 days , 60 days Time-period के लिए होतें हैं , हालाँकि यह कंपनी की Credit policy पर निर्भर करता हैं |
Factoring प्रक्रिया के दौरान , किसी कंपनी को उसके account receivables ( invoices ) के बदले मिलने वाला cash “Factor” की commission घटा के दिया जाता हैं , इसे Discount rate भी कहा जाता हैं |
Generally , यह 1 to 5 % तक हो सकता हैं , हालाँकि यह कई बातों पर निर्भर करता हैं , जैसे ( sales volume , customer creditworthiness ) इत्यादि |
इसके अलावा किसी कंपनी को उसके account receivables के बदले कितना cash मिलेगा , यह तय होता हैं , Advance rate के हिसाब से , जो की कंपनी के account receivables का 75 to 90 % तक हो सकता है |
उदहारण के तौर पर ,
मान लीजिये कोई XYZ कंपनी हैं , जिसके account receivables की value 1,00,000 हैं |
इस स्तिथि में 5 % discount rate घटा के , यह राशि 95,000 बचती हैं , जिसका 80 % यानि 76,000 factor द्वारा कंपनी को पहली transaction में भुगतान की जायेगी |
इसके अलावा शेष बची हुई राशि 2nd transaction में pay की जायेगी |
चलिए अब समझतें हैं , factoring कितने प्रकार की होती हैं ,
Factoring कितने प्रकार की होती हैं ?
Recourse Factoring –
यह एक common type की factoring हैं , जो की अक्सर Developing country में इस्तेमाल की जाती हैं |
Recourse factoring के अंतर्गत , maturity date के आने पर , अगर किसी कारण customer द्वारा payment default हो जाती हैं , तो इस स्थिति में factor द्वारा कंपनी को दिया जाने वाला पैसा , client द्वारा factor को refund कर दिया जाता हैं |
साधारण शब्दों में कहें तो ,
Recourse factoring के अंतर्गत client को debt protection नहीं दिया जाता , जिसके लिए इसमें factor द्वारा कम fees charge की जाती हैं |
Non-Recourse Factoring –
यह Recourse factoring के विपरीत काम करती हैं | Non-Recourse factoring के अंतर्गत Bad debt की स्तिथि में client को debt protection दिया जाता हैं |
जिस वजह से इसमें , Recourse factoring की तुलना में factor द्वारा ज्यादा fees charge की जाती हैं |
Disclosed Factoring –
Disclosed Factoring के अंतर्गत , client द्वारा customer को factoring services avail करने के बारें में सभी जानकारी उपलब्ध कराई जाती हैं |
Undisclosed Factoring –
जबकि Undisclosed factoring के अंतर्गत , client द्वारा customer को factoring services avail करने के बारें में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाती |
उम्मीद करतें हैं , इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी , आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमे comment करके जरूर बताएं | इस पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद !
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